Tamatar ki kheti (Farming) in Hindi | टमाटर की खेती कैसे करें

टमाटर एक बहुत ही लोकप्रिय सब्जी है। टमाटर का उपयोग सब्जियों का स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग टमाटर की चटनी, चटनी, चाट बनाने में बड़े पैमाने पर किया जाता है। टमाटर में विटामिन ए, विटामिन सी, फाइबर, आयरन और कैल्शियम जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। टमाटर की खेती न केवल सब्जियों का स्वाद बढ़ाती है बल्कि किसानों की आय बढ़ाने का भी काम करती है।  

Tamatar Ki Kheti

तो आज के इस लेख में टमाटर की खेती कब और कैसे करें? जानिए इससे जुड़ी तमाम अहम बातें।

Botanical name of tomato | टमाटर का वानस्पतिक नाम

टमाटर का पुराना वानस्पतिक नाम लाइकोपर्सिकन एस्कुलेंटम मिल है। वर्तमान में इसे सोलनम लाइको पोर्सिलेन कहा जाता है। यहाँ यह बताना जरूरी है कि टमाटर फल है या सब्जी? इसको लेकर भी भ्रम की स्थिति है। वानस्पतिक रूप से टमाटर एक फल है। इसके बीज के साथ इसका अंडाशय एक फूल वाले पौधे का होता है। हालांकि, टमाटर में अन्य खाद्य फलों की तुलना में चीनी की मात्रा काफी कम होती है और इसलिए वे उतने मीठे नहीं होते हैं। इसे पाक उपयोग के लिए एक सब्जी माना जाता है। वैसे तो टमाटर को आमतौर पर सब्जी माना जाता है।

टमाटर की खेती के लिए उचित मिट्टी और जलवायु


टमाटर की फसल के लिए काली दोमट मिट्टी, बलुई दोमट और लाल दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है। टमाटर की खेती हल्की मिट्टी में भी अच्छी होती है। टमाटर की अधिक उपज के लिए मिट्टी का पी एच मान 7 से 8 के बीच होना चाहिए।


टमाटर की उन्नत किस्मों की खेती साल भर की जा सकती है। इसके लिए किसी विशिष्ट प्रकार की भूमि या जलवायु की आवश्यकता नहीं होती है। टमाटर के बीजों के अंकुरण के लिए 19-25 डिग्री का तापमान उपयुक्त होता है। टमाटर के पौधे के विकास के लिए 19-29 डिग्री तापमान उपयुक्त होता है।

टमाटर की उन्नत किस्में ( Improved Varieties of Tomatoes )

टमाटर की खेती के लिए टमाटर की अच्छी किस्मों के बीजों का चुनाव करना बहुत जरूरी है। इसके लिए आप बाजार या कृषि विज्ञान केंद्र से अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

टमाटर की देशी किस्में:
 
  • पूसा शीतल
  • पूसा रूबी
  • अर्का विकास
  • पूसा-120 
  • पूसा गौरव 
  •  अर्का सौरभ 
  •  सोनाली 

टमाटर की संकर किस्में: 

  •  पूसा हाइब्रिड-4,
  • पूसा हाइब्रिड-1,
  •  पूसा हाइब्रिड-2,
  • अविनाश-2 
  •  रश्मि 

टमाटर की बुवाई का समय


जनवरी में टमाटर की रोपाई के लिए किसान नवंबर के अंत में टमाटर की नर्सरी तैयार कर सकते हैं। जनवरी के दूसरे सप्ताह में रोपाई कर देनी चाहिए। यदि आप सितंबर में इसकी रोपाई करना चाहते हैं तो जुलाई के अंत में इसकी नर्सरी तैयार कर लें। अगस्त के अंत या सितंबर के पहले सप्ताह में पौधे की बुवाई करें। मई में रोपाई के लिए मार्च और अप्रैल में नर्सरी तैयार करें। पौधों को अप्रैल और मई के महीने में बोना चाहिए।

टमाटर की खेती की विधि


3-4 बार जुताई करके खेत को अच्छी तरह तैयार कर लें। पहली जुताई जुलाई के महीने में मिट्टी पलटने वाले हल या देशी जुताई से करनी चाहिए। खेत की जुताई के बाद मिट्टी को 200-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से समतल करें और सड़ी हुई खाद को खेत में समान रूप से फैला दें और फिर से अच्छी जुताई करें और खरपतवार को पूरी तरह हटा दें. इसके बाद टमाटर के पौधे 60*45 सेमी. थोड़ी दूरी बनाकर  लगा दे।


टमाटर के लिए खाद एवं उर्वरक manures and fertilizers


मृदा परीक्षण के आधार पर ही उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। यदि किसी कारणवश मृदा परीक्षण नहीं हो पाता है तो नेत्रजन-100 किग्रा., स्फूर-80 किग्रा. तथा पोटाश-60 किग्रा. प्रति हेक्टेयर डालना चाहिए। नेत्राजन, स्फूर और पोटाश की कुल मात्रा का एक तिहाई मिश्रण रोपाई से पहले मिट्टी में मिला देना चाहिए। बची हुई नेट्रागोन को दो बराबर भागों में बांटकर रोपाई के 25 से 30 और 45 से 50 दिन बाद मिट्टी में डालकर टॉपड्रेसिंग के रूप में डाल दें। जब फूल और फल आने लगे तो यूरिया के 0.4-0.5 प्रतिशत घोल का छिड़काव करना चाहिए। लेकिन एकाग्रता पर बहुत ध्यान देना चाहिए। अधिक सघनता होने पर छिड़काव से फसलों के पूर्णतया नष्ट होने की संभावना रहती है। वहीं हल्की संरचना वाली मिट्टी में फल फटने की भी संभावना रहती है। रोपाई के समय 20-25 किलोग्राम बोरेक्स प्रति हेक्टेयर मिट्टी में अच्छी तरह मिला देना चाहिए। फलों की गुणवत्ता में सुधार के लिए 0.3% बोरेक्स के घोल का 3-4 छिड़काव फल बनते समय करना चाहिए।


टमाटर में खरपतवार का नियंत्रण

बहुत से खेतों में खरपतवार एक समस्या है। यदि आपके खेत में भी ऐसी ही कोई समस्या है,तो उसके नियंत्रण के लिए लस्सो को रोपाई से पहले 3 किग्रा/हेक्टेयर की दर से उपयोग करना चाहिए। वहीं, रोपण के 4-5 दिन बाद 1.0 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से स्टाम्प का प्रयोग किया जा सकता है। इससे उपज पर भी कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है।

 टमाटर में लगने वाले रोग और उपाये 


  • आद्र गलन:- इस रोग से बचाव के लिए पिथियम, फाइटोप्फथोरा, स्केलरेसीएम का छिड़काव करें। 
  • अगेती झुलसा:- इस बीमारी में पौधों पर छोटे-छोटे धब्बे दिखाई देते हैं और पत्तियां पीली हो जाती हैं। इसके निदान के लिए अल्टरनेरिया सोलानी (Alternaria solani) का छिड़काव करें।

टमाटर की खेती में मुनाफा कितना होता है?


टमाटर की खेती (tamatar ki kheti) पुरे साल  की जा सकती है। अगर आप अच्छी किस्म के टमाटर लगाते हैं तो सालभर में प्रति एकड़ लगभग 5  से 10  लाख का फायदा कमा सकते हैं।

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निष्कर्ष

हमें उम्मीद है, कि आपको टमाटर की खेती (Tamatar ki Kheti) के बारे में लिखा गया यह महत्वपूर्ण लेख टमाटर की खेती कैसे करें? पसंद आया होगा। यह आपके लिए काफी फायदेमंद साबित हुआ होगा। कृपया इस लेख को अधिक से अधिक शेयर करें ताकि अधिक से अधिक किसानो को टमाटर की खेती के बारे में पूरी जानकारी मिल सके।


FAQ:-


टमाटर की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है?


उत्तर :- पूसा हाइब्रिड-1, पूसा हाइब्रिड-2, पूसा हाईब्रिड-4, रश्मि और अविनाश-2, पूसा शीतल पूसा-120, पूसा रूबी, पूसा गौरव, अर्का विकास, अर्का सौरभ , सोनाली। 

टमाटर में कौन कौन  से रोग लगते है?

उत्तर :- मोजैक, फल सड़न, पछेती झुलसा, अगेती झुलसा, आद्र गलन आदि रोग लगते है। 



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