छत्तीसगढ़ में सरसों की खेती कैसे करें? | Chhattisgarh Sarso ki kheti Hindi

 Chhattisgarh Mustard Farming in Hindi:- तेल की बढ़ती मांग और कीमत को देखते हुए सरसों की खेती में अपार संभावनाएं हैं। सरसों का उपयोग न केवल तेल के रूप में बल्कि मसाला के रूप में भी किया जाता है। सरसों का तेल बहुत ही पौष्टिक होता है। सरसों के तेल में कई औषधीय गुण होते हैं। सरसों का तेल त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है। सरसों कम पानी में भी अधिक उपज देती है। तिलहन फसलों में सरसों एक महत्वपूर्ण फसल है।

Chhattisgarh Mustard Farming in Hindi

तो आइए, के इस आर्टिकल में  सरसों की खेती (Mustard Farming) को विस्तार से जानें


सरसों की खेती के उपयुक्त जलवायु ( Suitable climate for mustard cultivation)

सरसों की फसल (सरसों की फसल) के लिए ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है। भारत में इसकी खेती रबी के मौसम में की जाती है। इसके लिए 26 से 28 डिग्री सेंटीग्रेड का औसत तापमान काफी उपयुक्त होता है। सरसों की बुवाई के समय 15 से 25 सेंटीग्रेड और कटाई के समय 25 से 35 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है।

सरसों के लिए उपयोगी मिट्टी ( Useful soil for mustard )

सरसों की फसल के लिए कार्बनिक पदार्थ वाली दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है। सरसों की खेती के लिए मिट्टी का पीएच 5.8 से 6.7 के बीच काफी उपयुक्त होता है। यदि पीएच मान अधिक हो तो हर तीसरे वर्ष 5 टन प्रति हेक्टेयर की दर से जिप्सम/पाइराइट का प्रयोग करना चाहिए। मई-जून में जिप्सम या पाइराइट को जमीन में मिलाकर अच्छी तरह से जुताई करें।

सरसों के खेत की तैयारी


सरसों की फसल बोने के बाद खेत की 3-4 बार अच्छी तरह जुताई करें। पहली जुताई के समय 4-5 टन गोबर प्रति हेक्टेयर जुताई के लिए डालें। बीज को देशी हल या सीड ड्रिल से लाइन में बोयें। बीज पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेमी से अधिक नहीं होनी चाहिए और पौधे से पौधे की दूरी 10-12 सेमी से अधिक नहीं होनी चाहिए। यदि आप सरसों के साथ अन्य सह-फसलों की खेती कर रहे हैं तो यह दूरी अधिक रखी जा सकती है। बीज को 2-3 सें.मी से अधिक गहरा न बोयें, ज्यादा गहरी बुवाई करने पर बीज के अंकुरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

सरसों की  बुआई का समय


बीज बोने से पहले बीजोपचार करें, इससे रोग नहीं होते हैं। थीरम 2.5 ग्राम/किलोग्राम बीज उपचार के लिए प्रयोग किया जा सकता है। इसके लिए 2.5 ग्राम कार्बेन्डाजिम भी प्रति किलो इस्तेमाल किया जा सकता है। सरसों की बुवाई अक्टूबर से नवंबर के बीच करनी चाहिए।

सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन ( Irrigation and Fertilizer Management )

सिंचाई:- सरसों की फसल में पहली सिंचाई (सरसों की फसल) 30-35 दिन बाद पौधों की वृद्धि के लिए करें। कलियों के अच्छे विकास के लिए फूल आने पर दूसरी सिंचाई करें। तीसरी सिंचाई तब करनी चाहिए जब दाना फली में भरने लगे।

उर्वरक:- सरसों की फसल (सरसो की फसल) में पहली जुताई के समय सड़ी हुई गोबर की खाद डालें। रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग मृदा परीक्षण के अनुसार ही करें। यूरिया का प्रयोग पौधों की वृद्धि के लिए कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर ही करें। बिजाई के 20-25 दिन बाद सरसों की फसल में निराई करना बहुत जरूरी है।

सरसों में लगने वाले कीट व रोग ( Mustard pests and diseases )


स्टेम रोट

लक्षण: इस रोग के कारण सरसों के डंठल पर भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं। इससे प्रभावित पौधे अंदर से खोखले हो जाते हैं। किसान इसे पोला रोग के नाम से भी जानते हैं।

उपचार : इस रोग के नियंत्रण के लिए बीज को 3 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से बाविस्टीन से उपचारित कर बोयें।

झुलसा रो

लक्षण: इस रोग में पत्तियों और फलियों पर गहरे भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं।

उपचार : इसके उपचार के लिए बुवाई के 50 दिन बाद रिडोमिल (0.25%) का छिड़काव करें।


आरा मक्खी कीट

यह कीट अक्टूबर से दिसंबर तक फसल को अधिक नुकसान पहुंचाता है। इसके नियंत्रण के लिए डाइमेथोएट 30 ईसी। 1 लीटर/हेक्टेयर या 500 मिली मैलाथियान 50 ईसी। मात्रा/हेक्टेयर में 500 लीटर पानी मिलाकर छिड़काव करें।

सरसों की खेती में लागत और कमाई ( Cost and Earnings in Mustard Cultivation )


कीमत की बात करें तो इसकी कीमत अन्य फसलों के मुकाबले कम होती है। क्योंकि सरसों की फसल में पानी भी कम होता है। इसकी खेती में किसानों को प्रति हेक्टेयर 30-40 हजार रुपये का खर्च आता है।


सरसों की खेती (सरसो की खेती) गेहूं की फसल की तुलना में अधिक लाभ देती है। प्रति हेक्टेयर 20-20 क्विंटल सरसों का उत्पादन होता है। इससे किसानों को 1-1.5 लाख रुपये का शुद्ध लाभ मिलता है। भारत में सरसों की मांग के अनुसार कम उत्पादन होता है। यही वजह है कि सरसों तेल के दाम आसमान छू रहे हैं।


आने वाले समय में देश में सरसों के तेल की खपत और भी अधिक बढ़ने की संभावना है। ऐसे में सरसों की खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा मिल सकता है।

सरसों की खेती (Chhattisgarh Sarso ki kheti Hindi) की बात। लेकिन, Jaijohar.in  पर आपको कृषि ,मशीनीकरण, सरकारी योजना, छत्तीसगढ़ी फिल्म और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों पर भी कई महत्वपूर्ण ब्लॉग्स मिलेंगे, जिनको पढ़कर अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं। 

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