ढांढल नृत्य: यह नृत्य कोरकू जनजाति में प्रचलित है। इसमें नृत्य के साथ शृंगार गीत भी गाए जाते हैं। इसमें नृत्य करते समय एक-दूसरे पर छोटे-छोटे डंडों से प्रहार किया जाता है। यह नृत्य ज्येष्ठ-आषाढ़ की रातों में आयोजित किया जाता है। इस नृत्य में दोलक, टिमकी, बांसुरी, मृदंग आदि बाद्य-यंत्रों का प्रयोग होता है। इन वाद्य यंत्रों के वादन की गति नृत्य की गति को नियंत्रित करती है।
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