छत्तीसगढ़ लोक राई नृत्य की जानकारी | Rai Nitya

राई नृत्य

राई नृत्य :-
राई नृत्य बुंदेलखंड का यह नृत्य किसी ऋतु विशेष या अनुष्ठान से नहीं जुड़ा हुआ है। इसे न ही मंचीय नृत्य के रूप में सीमित किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चे के जन्म, विवाह आदि अवसरों पर अथवा इच्छित कार्य की पूर्ति होने या मनौती पूरी होने पर राई नृत्य का आयोजन किया जाता है। राई नृत्य के केन्द्र में एक नर्तकी होती है, जिसे ' बेडना कहते हैं। उसे गति देने का कार्य एक मृदंग वादक करता है। उल्लेखनीय तथ्य यह है कि राई के विराम काल में' स्वांग ' (सवाल-जबाब शैली में) का आयोजन होता है, जिसमें घटनाओं, स्थितियों पर त्वरित व्यंग्य एवं सामजिक विद्रुपताओं पर चोट की जाती है बुंदेलखंड की तरह ही बधेलखंड में भी राई नृत्य का प्रचलन है किन्तु दोनों क्षेत्रों की राई में बहुत अंतर है। बधेलखंड में राई विशेषकर अहीरों द्वारा की जाती है जबकि कहीं कहीं ब्राह्मण स्त्रियों और पुत्र जन्म के अवसर पर वैश्य स्त्रियों द्वारा भी यह नृत्य किया जाता है। यहां के राई गीत शृंगार परक होते हैं। किन्तु बुन्देलखंड की तरह यौवन व शृंगार का अद्दाम आवेग और तीव्र गति यहां नहीं देखने को मिलता है।

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